क्या बीजेपी के बाग़ी आपस में मिलकर शीर्ष नेतृत्व के ख़िलाफ़ बग़ावत का झंडा बुलंद कर रहे हैं? कौन किस ख़ेमे में है कहना मुश्किल है। बीजेपी मे अभी बहुत सारे ख़रबूज़े है जो रंग बदलेंगे। कुछ ने सुधीन्द्र कुलकर्णी और वसुंधरा के बाग़ी तेवरों को देखते हुए रंग बदलना शुरू भी कर दिया है। बीजेपी की लड़ाई फटे दूध की मिठाई खाने की है। लोकसभा हार के बाद कुछ दिनों तक आत्ममंथन चलता रहा जब समझ में आया की ज़िम्मेदार तो ख़ुद ही है तो चुप रहने में ही भलाई समझी। लेकिन वो लोग जिन्हे़ चुनाव के समय भाव नहीं दिया गया, हार के बाद भी किनारे पड़े रहे वो अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। जी हां अस्तित्व की लड़ाई उन नेताओं के लिए जो तीस-तीस सालों से पार्टी के साथ जुड़े रहे। ख़ैर ये राजनीति का दस्तूर है, कुर्सी पर क़ाबिज़ रहो फिर भले जनता के नकारे जाने के बाद अपने ही दल में क्यों न बड़े पद की कुर्सी पर।
इंडिया प्राइम में वरिष्ठ पत्रकार अजय उपाध्याय साथ थे उनका कहना था की अरुण जेटली से बेहतर मैनेजर अभी राजनाथ के पास नहीं और जेटली की अपनी तगड़ी लॉबी भी है, जसवंत सिंह को वैसे भी कोई नहीं पूछ रहा था तो उन्हे लगा की कुछ तो धमाका किया जाए, वसुंधरा पर खंडूरी के जाने के बाद से ही दबाव था, खंडूरी को वसुंधरा के स्टैंड के बाद समझ में आ रहा है कि उन्हे तो बलि का बकरा बना दिया गया, अरुण शौरी को अगली राज्यसभा में भी बने रहने के लिए अपनी उपस्थिति का अहसास कराना ज़रुरी था। इसीलिए एक के बाद एक पतंगे कट रही हैं और उन्हे लूटने के लिए फ़िलहाल हमेशा की तरह अमर सिंह तैयार दिख रहे हैं।
इंडिया प्राइम में वरिष्ठ पत्रकार अजय उपाध्याय साथ थे उनका कहना था की अरुण जेटली से बेहतर मैनेजर अभी राजनाथ के पास नहीं और जेटली की अपनी तगड़ी लॉबी भी है, जसवंत सिंह को वैसे भी कोई नहीं पूछ रहा था तो उन्हे लगा की कुछ तो धमाका किया जाए, वसुंधरा पर खंडूरी के जाने के बाद से ही दबाव था, खंडूरी को वसुंधरा के स्टैंड के बाद समझ में आ रहा है कि उन्हे तो बलि का बकरा बना दिया गया, अरुण शौरी को अगली राज्यसभा में भी बने रहने के लिए अपनी उपस्थिति का अहसास कराना ज़रुरी था। इसीलिए एक के बाद एक पतंगे कट रही हैं और उन्हे लूटने के लिए फ़िलहाल हमेशा की तरह अमर सिंह तैयार दिख रहे हैं।
2 टिप्पणियां:
ब्लॉग जगत पर देखकर आपको अच्छा लगा। :)
मतलब आपको ब्लॉग जगत पर देखकर अच्छा लगा। माफी चाहता हूं पिछली टिप्पणी में शब्द आगे-पीछे हो गए...
एक टिप्पणी भेजें