सोमवार, 17 अगस्त 2009

स्वाईन फ़्लू ले लो... स्वाईन फ़्लू वाला....

कोई भी घबरा सकता है ऐसी पुकार सुनकर और कोई ऐसी घटिया बीमारी को मुफ़्त में भी नहीं ख़रीदना चाहेगा। लेकिन जनाब जबसे ये भारत में आया है इसकी दुकानें सज चुकी हैं, कुछ वैसे ही जैसे राखी के त्यौहार पर राखियों की, 15 अगस्त या मकर संक्रांति पर पतंगों की या दीवाली पर पटाख़ों की। स्वाईन फ़्लू बेचने वालों के पास इसे बेचने के अलग-अलग और नायाब तरीक़े हैं। कोई मास्क लगाकर बेच रहा है, कोई बार-बार इससे हुई मौतों की तादाद बताकर बेच रहा है, कोई दुनिया के दूसरे देशों के मुक़ाबले हमारे यहां इसने कितने ख़तरनाक तरीक़े से दस्तक दी है ये बता कर बेच रहा है। आप सोच रहे होंगे इसे ख़रीदेगा कौन? आपकी जानकारी के लिए बता दूं जनाब कि अच्छी बिक्री हो रही है इसकी, क्योंकि टीआरपी ठीक दे रहा है ये स्वाईन फ़्लू।

आप ठीक समझे ये दुकाने कहीं और नहीं न्यूज़ चैनल्स में सजी हुई हैं। मैं भी इसकी आमद से घबराया हुआ था, और घर के लोग भी। कोई रूमाल मुंह पर बांधने की सलाह दे रहा था तो कोई कुछ दिनों की छुट्टी लेने की। अगर ये स्वाईन फ़्लू घर में आ गया तो सबकी जान जाएगी, देखते नहीं रोज़ लोगों की जान जा रही है। ये घर के लोगों की सोच हो गई है और ज़्यादातर घरों की कहानी मेरे जैसी ही है। उन्होंने ये सुझाव और जानकारियां न्यूज़ चैनल्स पर देखी थीं। और यही उनकी और देश के ज़्यादातर दर्शकों की जानकारी का माध्यम भी है। याने आज ज़्यादातर दर्शक स्वाईन फ़्लू के बारे में जो जानते हैं वो इन्ही की मेहरबानी से। लेकिन क्या वो सही जानते है या उन्हें सही बताया गया है? मैं भी ख़ुशक़िस्मती से मीडिया का ही हिस्सा हूं और इससे जुड़ी ख़बरों को नज़दीक से समझने का मौक़ा भी मिला।

हमने भी स्वाईन फ़्लू पर कई कार्यक्रम किए लेकिन कुछ बातों को तय कर लिया गया था जैसे कि हम मरने वालों की तादाद कितनी हुई ये Breaking News में नहीं चलाएंगें। मक़सद था इससे लोगों के मन में बैठे हुए डर को और न बढ़ाया जाए। साथ ही कोशिश की जाए की विशेषज्ञों की मदद से इसकी सही जानकारी पहुंचाई जाए और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि इसके साथ अन्य ख़बरों को भी तवज्जो दी जाए न कि पूरा दिन उसी को अलग-अलग ढंग से पेश किया जाए। कई और ज़िम्मेदार चैनल्स भी रहे जिन्होंने इन बातों का ध्यान रखा। फिर भी डर बिकता है और इसका फ़ायदा कुछ चैनल्स ने उठाया।

मैं डॉक्टर तो हूं लेकिन बीमारियों का जानकार नहीं हां ख़बरों का जानकार ज़रुर हूं और अलग-अलग विषयों के जानकारों से मुलाक़ात भी होती रहती है। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट और फिज़िशियन डॉ के. के. अग्रवाल के साथ स्वाईन फ़्लू पर एक कार्यक्रम किया जिसमें उन्होंने कई दिलचस्प और कुछ चौंकाने वाली जानकारियां दी। चौंकाने वाली इसलिए कह रहा हूं कि अगर मैं आपसे ये कहूं की स्वाईन फ़्लू कुछ और नहीं महज़ आम सर्दी ज़ुक़ाम है तो शायद आप चौंक जाएंगें क्योंकि आपके ज़ेहन में इसके बारे एक अलग ही तस्वीर बसी हुई है। लेकिन यही सच उन्होंने मुझे कार्यक्रम में बताया। मैंने सिर्फ़ एंकर के नाते ही नहीं बल्कि निजी जानकारी के लिए भी उनसे पूछा, इससे इतनी मौतें हो रही तो क्या इसे ख़तरनाक बीमारी न कहा जाए? वो जानते थे की ये स्वाभाविक सवाल मैं उनसे पूछूंगा शायद इसीलिए वो पूरी तैयारी से आये थे। उन्होंने उल्टे मुझसे सवाल किया, आप को पता है कल सिर्फ़ दिल्ली में बुख़ार से कितनी मौतों हुई हैं? सामान्य सर्दी ज़ुक़ाम से इससे पहले कितनी मौतें रोज़ हो रही थी? हार्ट अटैक से दिल्ली में कल कितने लोगों की मौत हुई है? मैंने जवाब दिया मुझे सिर्फ़ स्वाईन फ़्लू के आंकड़े पता हैं।

जी हां, इस बात पर मेरा ध्यान बाद में गया की अगर हम बुख़ार से मरने वालों की, सर्दी ज़ुक़ाम से मरने वालों की ख़बरें भी इसी तरह चलाते रहे तो इन बीमारियों का डर भी ऐसा ही होगा जैसा स्वाईन फ़्लू का। उनका ये सवाल इसलिए अपने आप में बहुत से जवाब लिए हुआ था क्योंकि अगर इन दूसरी बीमारी के आंकड़ों को उठाकर देखा जाए तो इनसे होने वाली मौतें स्वाईन फ़्लू के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा है। H1N1 वायरस से निपटने की तैयारी चल रही है और वैक्सीन भी तैयार किया जा रहा है। लेकिन न तो कोई वायरस पहली बार आया है और न ही कोई वैक्सीन पहली बार बन रहा है। पर इसका जो हौव्वा बनाया गया है और जिस तरह से इसे पेश किया गया है वो दुर्भाग्यपूर्ण है। ये एक ताज़ा मुद्दा है ज़ाहिर है इस पर ख़बर और कार्यक्रम तो दिखाने ही होंगे लेकिन किस तरह से ये महत्वपूर्ण है। जैसा मैंने शुरुआत में कहा अगर इसे भी बेचेंगे तो ये स्थिति तो बनेगी ही। मेरे मीडिया के तमाम साथी इस जुमले से वाकिफ़ होंगे की ‘ये बिकने वाली चीज़ है’, अमूमन टीआरपी बटोरने वाली तस्वीरों के लिए या हॉट न्यूज़ के लिए ये जुमला इस्तेमाल होता है। लेकिन ये बिकने वाली चीज़ नहीं ये लड़ने वाली चीज़ है।

इस कार्यक्रम को करने के बाद स्वाईन फ्लू के बारे में मेरा डर तो निकल गया क्योंकि स्वाईन फ़्लू जान लेवा नहीं है बल्कि आम फ़्लू की तरह है। कोशिश करें जैसे सर्दी ज़ुक़ाम के मरीज़ों के छींकते वक़्त आप मुंह पर हाथ रख लेते है उतनी ही सावधानी बरतें और ऐसे मरीज़ से तीन फीट की दूरी भी इस वायरस को आप तक नहीं पहुंचने देगी। क्योंकि ये वायरस हवा में टीबी के वायरस की तरह तैरता नहीं बल्कि फौरन ज़मीन पर बैठ जाता है। अगर स्वाईन फ़्लू हो भी गया है तो आम फ़्लू की तरह ये 5 से 7 दिनों में इलाज से चला जाएगा ये लाइलाज नहीं है। ख़तरा कुछ है तो वो इसके बारे में ग़लत जानकारियां दिमाग़ में बैठा लेने का या बेकार ही स्वाईन फ़्लू के डर से अस्पतालों की उस भीड़ में शामिल होने का जहां शायद आपको सचमुच ये वायरस अपनी चपेट में ले ले और पहले से डरे हुए आप इससे निपटने के लिए तैयार न हो।

मैं इलेक्ट्रॉनिक मी़डिया का लम्बे समय से हिस्सा रहा हूं और रहूंगा, इसीलिए अपने कार्यक्षेत्र पर टिप्पणी करना चुभता है। लेकिन मैंने कोशिश दोनों पहलू आपके सामने रखने की, सही मीडिया भी जिसमें जानकारों और विशेषज्ञों की मदद से आपको सही जानकारियां मिलती या फिर यहां वो दुकानें भी है जहां इसे भी दूसरे न्यूज़ आयट्म्स की तरह सजा-धजा कर पैकेजि़ग के साथ बेचा जाता है। पसंद आपकी है आप किसे अपनाते है और किसे ठेंगा दिखाते हैं। याने इस बाज़ार में बिकता सब है ख़रीदारी आपको सोच समझ कर करनी होगी। ये लेख भी सही मीडिया के ज़रिए सही जानकारी आप तक पहुंचाने की कोशिश है, मेरा स्वाईन फ्लू के बारे में ज्ञान डॉ अग्रवाल के साथ कार्यक्रम करने के बाद बढ़ा उम्मीद है ये ज्ञान आपके भी काम आएगा।

1 टिप्पणी:

Sudeep ने कहा…

यह पढ़ कर बहुत अच्छा लगा प्रवीण की आप और आपकी न्यूज़ टीम ब्रेकिंग न्यूज़ के नाम पर लोगो के कान में कचरा नहीं डाल रहे, ब्लॉग भी बहुत बढ़िया बनाया है