मंगलवार, 1 सितंबर 2009

खिलाड़ियों और खेल संघों के बीच मीडिया

मेरीकॉम आजकल सुर्खि़यों में हैं लेकिन सिर्फ़ खेल रत्न मिलने के लिए नहीं बल्कि उनके द्वारा स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के हिसार में लगाए जाने वाले ट्रैनिंग कैंप पर उठाए गए गंभीर सवालों की वजह से। मेरिकॉम ने बॉक्सिंग में नौ साल का लम्बा करियर देखा है, पद्मश्री से लेकर खेल रत्न जैसे सम्मान हासिल किए है लेकिन वो पहली बार किसी टेलिविजन चैनल के स्टूडियो में पहुंची। इस एक्सक्लुसिव बातचीत में मेरीकॉम ने जो ख़ुलासे किए वो चौंकाने वाले थे। विश्व चैंपियन बॉक्सर कैंप में जाते वक़्त अपने साथ अपने पति को या भाई को लेकर जाती हैं क्योंकि उन्हे डर रहता है की कोई बदमाश उनके साथ छेड़छाड़ न करें। ये उन लड़कियों और महिलाओं के लिए एक बड़ा धक्का हो सकता है जो बॉक्सिंग, जूडो या ताइक्वांडो सीखकर करकर ख़ुद को इन बदमाशों के ख़िलाफ़ तैयार कर रही हैं। सबसे बड़ा बवाल उनके उस ख़ुलासे से हुआ जिसमें उन्होंने SAI (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलते हुए ये कहा कि बार-बार मना करने के बावजूद हिसार में ही ट्रेनिंग कैंप लगाया जाता है जबकि यहां पर महिला खिलाड़ी सुरक्षित नहीं है। महिला खिलाड़ियों के साथ छेड़छाड़ होती है और उन पर अश्लील फ़ब्तियां कसी जाती है। हांलाकि इटरव्यू के दौरान मैंने एक बात ग़ौर की, कि वो इस बात से घबरा भी रही थी की कही उन पर अथॉरिटी कोई कार्रवाई न कर दे। मैंने सवाल किया की नौ साल के लंबे करियर में आपने कई कैंप हिसार में किए होंगे, फिर अब अचानक ये परेशानी क्यों सामने आई? कहीं खेल रत्न चुने जाने के बाद आपका कॉन्फिडेन्स तो नहीं बढ़ गया और अथॉरिटी के ख़िलाफ़ अब आपने आवाज़ उठाई? मेरिकॉम इंटरव्यू के दौरान कई बार चुप हुई और मुझसे उन्होंने कहा कि मैं इस पर अभी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं। ज़ाहिर था कि मेरिकॉम भले ही खेल रत्न हो गई हो लेकिन मन में एक डर तो है कि कहीं अथॉरिटी कोई ऐक्शन न ले ले। गंभीर बात ये है कि जब इतनी बड़ी खिलाड़ी झिझक के साथ इतनी गंभीर परेशानी को रख रही हैं तो बाक़ी नये ख़िलाड़ियों की स्थिति का क्या कहना। मीडिया की सकारात्मक भूमिका से मेरीकॉम ख़ुश है क्योंकि जो बात ये खिलाड़ी अधिकारियों से कई बार कह चुके थे उसका असर अब मीडिया में इस ख़बर के आने के बाद हुआ है। अथॉरिटी इस मामले को गंभीरता से ले रही है। सहवाग का डीडीसीए पर ग़ुस्सा हो, सायना नेहवाल की वाडा को लेकर टीम इंडिया को दी गई नसीहत हो या फिर ताज़ा मामला एम. सी. मेरीकॉम का ख़ुलासा हो खेल संस्थानों और खिलाड़ियों के बीच की दूरियां साफ है और मीडिया इसमें ब्रिज का काम कर रहा है।

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