गुरुवार, 28 जनवरी 2010

फिल्म क्रिटिक्स को अब कोई नहीं सुनता- सलमान खान


“फिल्म आलोचक धीरे धीरे अपनी विश्वसनियता खोते जा रहे हैं। अब कोई भी इनकी बातों को नहीं सुनता है और न ही इनकी सलाह पर फिल्म देखने या न देखने का फैसला करता है।” ये बात सलमान खान ने मुझसे एक लाइव इंटरव्यू के दौरान कही। दरअसल सलमान के मुताबिक उनकी फिल्म वीर ने पहले हफ्ते में ही तकरीबन 40 करोड़ का व्यवसाय किया है जो फिल्म को कामयाब बताता है। उन्होने ये भी कहा की वो चाहते है कि फिल्म समीक्षकों की भूमिका बनी रहे और उनकी राय को सम्मान भी मिले लेकिन उसके लिए निष्पक्ष राय देने की ज़रुरत है। हालांकि जब मैंने सलमान से पूछा की कई दर्शकों की भी यही राय है की फिल्म से जितनी उम्मीदें थी वो उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई तो सलमान का जवाब था की उनके इनपुट्स अलग हैं। उनके मुताबिक फिल्म को नकारात्मक पब्लिसिटी दी जा रही है जबकी हकीकत में फिल्म को दर्शक पसंद कर रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने ये भी कहा की वो खुद फिल्म के ब्लॉग और न्यूज़ चैनल पर आने वाली दर्शकों की राय को पढ़ते और सुनते हैं।

हालांकि सलमान की बातों में ये बात भी साफ झलक रही थी की फिल्म बिल्कुल वैसी नहीं बनी जैसी वो चाह रहे थे ख़ासकर फिल्म की लंबाई को लेकर निर्देशक अनिल शर्मा और उनके बीच मतभेद को भी उन्होंने इस बातचीत में स्वीकार किया। फिल्म 3 ईडियट्स की तरह वीर के डॉयलाग्स पर भी गुड़गाव में रहने वाले एक लेखक के दावे के बाद परवान चढ़े विवाद पर सलमान ने कोई जवाब नहीं दिया एक जोरदार हंसी के साथ उन्होंने कहा उन्हे मुबारक है।

खैर विवाद फिल्म के भले के लिए है या लेखक के भले के लिए ये बहस का अलग मुद्दा है एक बात तो स्पष्ट है कि तमाम आलोचनाओं के बावजूद सलमान वीर पर फ्लॉप का धब्बा नहीं लगने देना चाहते हैं। फिर चाहे फिल्म क्रिटिक्स के माथे इसकी नकारात्मक पब्लिसिटी का ठीकरा फोड़ना हो या फिर फिल्म के रिलीज़ के एक हफ्ते बाद भी मीडिया में इसकी कामयाबी की कोशिश करना हो। दरअसल सलमान अभी तक फिल्म के रिलीज़ के पहले ही मिडिया की पकड़ में आते थे लेकिन एक ऐसी फिल्म जिसे उन्होंने अपने जीवन का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बताया थे उसे वो फ्लॉप होते नहीं देख सकते। इंतज़ार इस बात का करना होगा की इस प्रयास को और पुख्ता करने के लिए वे आगे क्या रणनीति बनाते हैं।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

ब्लॉग जगत का घिनौना चेहरा अविनाश

भारतीय ब्लॉगिंग दुनिया के समस्त ब्लॉगरों से एक स्वतंत्र पत्रकार एवं नियमित ब्लॉग पाठक का विनम्र अपील-
संचार की नई विधा ब्लॉग अपनी बात कहने का सबसे प्रभावी माध्यम बन सकता है, परन्तु कुछ कुंठित ब्लॉगरों के कारण आज ब्लॉग व्यक्तिगत कुंठा निकालने का माध्यम बन कर रह गया है | अविनाश (मोहल्ला) एवं यशवंत (भड़ास 4 मीडिया) जैसे कुंठित
ब्लॉगर महज सस्ती लोकप्रियता हेतु इसका प्रयोग कर रहे हैं |बिना तथ्य खोजे अपने ब्लॉग या वेबसाइट पर खबरों को छापना उतना ही बड़ा अपराध है जितना कि बिना गवाही के सजा सुनाना | भाई अविनाश को मैं वर्षों से जानता हूँ - प्रभात खबर के जमाने से | उनकी अब तो आदत बन चुकी है गलत और अधुरी खबरों को अपने ब्लॉग पर पोस्ट करना | और, हो भी क्यूं न, भाई का ब्लॉग जाना भी इसीलिए जाता है|

कल कुछ ब्लॉगर मित्रों से बात चल रही थी कि अविनाश आलोचना सुनने की ताकत नहीं है, तभी तो अपनी व्यकतिगत कुंठा से प्रभावित खबरों पर आने वाली 'कटु प्रतिक्रिया' को मौडेरेट कर देता है | अविनाश जैसे लोग जिस तरह से ब्लॉग विधा का इस्तेमाल कर रहे हैं, निश्चय ही वह दिन दूर नहीं जब ब्लॉग पर भी 'कंटेंट कोड' लगाने की आवश्यकता पड़े | अतः तमाम वेब पत्रकारों से अपील है कि इस तरह की कुंठित मानसिकता वाले ब्लॉगरों तथा मोडरेटरों का बहिष्कार करें, तभी जाकर आम पाठकों का ब्लॉग या वेबसाइट आधारित खबरों पर विश्वास होगा |
मित्रों एक पुरानी कहावत से हम सभी तो अवगत हैं ही –
'एक सड़ी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है', उसी तरह अविनाश जैसे लोग इस पूरी विधा को गंदा कर रहे हैं |