यहां मैं अपनी बात लिखता हूं, अपने कार्यक्रमों के दौरान मेहमानों से बातचीत, विशेषज्ञों की राय के बाद हर ख़बर पर मेरी सोच क्या है, उसे आपके साथ बांटना इस ब्लॉग का मक़सद है। ये मेरी निजी राय है, मेरे काम से और संस्थान से इसका कोई वास्ता नहीं।
लोगों से मिलना और बात करना मुझे अच्छा लगता है और मेरी इस रुचि का इस्तेमाल जितना बेहतर मीडिया में हो सकता था शायद कहीं और नहीं। 9 साल के करियर में अलग-अलग क़िस्म के कार्यक्रम करने को मिले और विभिन्न क्षेत्रों की कई शख़्सियतों के साथ कार्यक्रम करने का मौक़ा मिला और अब भी मिलता है। कुछ ऐसी ही तस्वीरें इस slideshow में देख पायेंगे।
ये आर्टीकल मेरी पीएचडी के बाद दैनिक भास्कर में छपा था। इसमें लगा कार्टून सीनियर कार्टूनिस्ट इस्माइल लहरी जी ने बनाया है। मुझे भी कार्टून बनाने का शौक है और आर. के. लक्ष्मण साहब के साथ भोपाल मे एक वर्कशॉप के दौरान मुझे इस विषय पर पीएचडी का विचार आया और इसे चरितार्थ करने में मेरे गाइड मानसिंह परमार साहब का मार्गदर्शन काम आया।
ये ऐड जनमत के लॉंच पर हर बड़े अख़बार में छपा था।
शेखर सुमन, वीर सांघवी, अल्का सक्सेना, राहुल देव, उमेश उपाध्याय, हरीश गुप्ता, स्वाती चतुर्वेदी, अनीस त्रिवेदी, अशोक पंडित, मनप्रीत बरार जैसे दिग्गज मीडिया नामों के साथ मुझे और मेरे कार्यक्रम जनता बोले को भी इस ऐड में जगह मिली थी, जो एक सम्मान है। इन लोगों के साथ काम करने का और इनके मार्गदर्शन का मौक़ा भी एक उपलब्धि है।
बीएफए करना चाहता था। लेकिन पिताजी का मानना था की कलाकारों को बहुत चप्पल घिसनी पड़ती और वो भी तब ज़्यादा जब तुम किसी ग़रीब के घर पैदा हुए कलाकार हो। लेकिन मुझे लगता है किसी भी कला के लिए डिग्री से ज़्यादा प्रैक्टिस की ज़रुरत है। पहले समय था तो हालात नहीं, अब हालात हैं तो समय नहीं मिल पाता फिर भी कोशिश करता हूं इस शौक को बरक़रार रखने की।
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