मंगलवार, 29 सितंबर 2009

दुनिया के नंबर1 मुक्केबाज़ का इंटरव्यू

पहले ओलंपिक में ब्रांज़ मैडल, फिर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में भी शानदार प्रदर्शन कर मैडल जीतने के बाद अब हिन्दुस्तानी बॉक्सर विजेंन्द्र सिंह ने दुनिया का नंबर 1 बॉक्सर बनने का गौरव भी हासिल कर लिया है। प्वाईंट्स के आधार पर विजेन्द्र 75 किलोग्राम कैटेगरी में अब दुनिया के नंबर एक मुक्केबाज़ बन गए हैं। इस क़ामयाबी के बाद एक शो के दौरान विजेन्द्र से कई दिलचस्प पहलुओं पर बात हुई। उनका सबसे पहला रिएक्शन था ब्रांज़ मैडल सुन-सुनकर वो पक गए है और अब वो गोल्ड मैडल जीतेंगे। विजेन्द्र ख़ुद ये मानते है कि क़िस्मत उन पर मेहरबान है, कड़ी मेहनत को तो वो श्रेय देते हैं लेकिन साथ ही साथ उनका ये भी कहना है कि वक़्त भी अच्छा बुरा होता है। विजेन्द्र ने कहा की देश में कई और भी मुक्केबाज़ है जो शायद मुझसे ज्यादा मेहनत करते होंगे, लेकिन मेरा वक़्त अच्छा आया है तो मैं क़ामयाबी पर क़ामयाबी हासिल करता चला जा रहा हूं। किस्मत को तो वो मानते है लेकिन विजेन्द्र ज्योतिष पर भरोसा नहीं करते हैं। अपने फ़लसफ़े को बताते हुए उनका कहना था जो होना है वो तो होगा ही चाहे अच्छा हो या बुरा। विजेन्द्र ये भी मानते ही क़ामयाबी डर भी बढ़ाती है क्योंकि देश की उम्मीदें आपसे और बढ़ जाती हैं और आपको हर कॉम्पीटीशन में मैडल जीतने के दबाव के साथ खेलना पड़ता है।

विजेन्द्र हिन्दुस्तानी फ़िल्मों के साथ-साथ हॉलीवुड के एक्शन फ़िल्मों के बड़े फैन है। उन्हें आज का वक़्त सपनीला लगता है क्योंकि कुछ सालों पहले तक जिन बड़े बड़े सितारों के पोस्टर उनके कमरे में लगे होते थे, आज उनके साथ मिलकर वो कई बड़े ब्रांड्स को प्रमोट रहे हैं। शाहरुख़ ख़ान के साथ वो दिखे, तो सलमान ने उन्हे दस का दम में, फरहा ने उन्हे तेरे मेरे बीच में बुलाया। उनका कहना था कई बड़े बैनर की फ़िल्म्स के ऑफ़र उन्हे मिले लेकिन उन्होंने फ़िल्मों से दूरी बनाए रखने का फ़ैसला किया है। विजेन्द्र ऐसा एक जाने-माने फिल्म स्टार और अपने फेवरेट हीरों के कहने पर कर रहे है। वो हीरों है ख़ुद खिलाड़ी कुमार के नाम से मशहूर अक्षय कुमार। अक्षय ने विजेन्द्र से कहा है की अभी बहुत लंबा समय बाक़ी है फ़िलहाल खेल पर ध्यान दो फ़िल्में तो मिलती रहेंगी।

आगे विजेन्द्र का कहना था कि सम्मानों का तब तक कोई फ़ायदा नहीं जब तक पूरे देश में बॉक्सिंग को सम्मान की नज़र से न देखा जाए। ऐसा वो इसी लिए कह रहे थे क्योंकि बीजिंग से जीत कर लौटने के बाद उनसे कई वादे किये गए थे जो पूरे नहीं हुए। इन वादों में एक अच्छी बॉक्सिंग ऐकेडमी खोलने का वादा भी था। ये विजेन्द्र का सपना है की वो देश में एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बॉक्सिंग ऐकेडमी बनाना चाहते है और देश को बड़ी तादाद में अच्छे बॉक्सर्स देना चाहते है। उनका ये भी कहना है कि क्रिकेट ही देश में खेलों का भगवान है और दूसरे खेल उपेक्षित रह जाते है। बॉक्सिंग की भी हालात बहुत अच्छी नहीं है। ये सच है कि ये बॉक्सिंग का अच्छा दौर है जब बॉक्सर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और हम लोगों को सम्मान भी मिल रहा है। लेकिन इन हालात को बनाए रखने के लिए ज़रुरी है बॉक्सर्स को अच्छी सुविधाएं भी मिलें। बातचीत को ख़त्म करते हुए विजेन्द्र ने ये वादा किया कि वो कॉमनवेल्थ में ब्रांज नही बल्कि गोल्ड जीतकर फिर इसी स्टूडियों में दर्शकों से रुबरु होंगे।

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