सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

रवींद्र शाह श्रद्धांजलि सभा



नोएडा के अग्रवाल सभा भवन में रवींद्र शाह जी को श्रद्धांजलि देने के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कई गणमान्य पत्रकारों ने शाह साहब के साथ अपने निजी अनुभवों को साझा करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। सबसे पहले डॉ प्रवीण तिवारी ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी... अपने निजी अनुभवों को साझा किया और इस भवन में मौजूद तमाम पत्रकारों को शाह साहब की असली विरासत और व्यक्तित्व का अहम हिस्सा बनाया। यहां मौजूद हर शख्स को ये एक निजी क्षति महसूस हो रही थी।

न्यूज एक्सप्रेस के दिनेश कांडपाल कार्यक्रम का संचालन कर रहे थे। वो एस1 न्यूज चैनल में शाह साब के साथ काम भी कर चुके थे। उन्होंने शाह साहब की नेतृत्व क्षमता पर रौशनी डालते हुए एस1 के कठिन समय में उनके साहस और नेतृत्व शैली के बारे में जानकारी दी। सभा में वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग भी मौजूद थे। उन्होंने रवींद्र शाह की पत्रकारिता को नजदीक से देखा था और इंदौर के ही होने के नाते उनके कई निजी अनुभव भी उनके साथ रहे थे। गर्ग साहब ने लोगों से मिलते जुलते रहना और हमेशा कुछ नया और बेहतर करने को लेकर व्याकुल रहना शाह के बेहतर पत्रकार होने के पीछे की वजह बताया।

स्टार न्यूज के दीपक चौरसिया भी यहां मौजूद थे। उन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत का श्रेय शाह साहब को दिया। उन्होंने बताया कि इंदौर में नई दुनिया में जब रवींद्र शाह थे तो उन्होंने पहला आलेख उन्हें एसाइन किया और वह प्रकाशित हुआ। इस तरह पत्रकारिता में आने का मार्ग प्रशस्त हुआ। दीपक ने रवींद्र शाह के नाम को अमर रखने के लिए कोई बड़ा प्रयास जल्दी करने का आश्वासन भी दिया। दीपक के लिए ये एक निजी क्षति है और वो इससे बेहद भावुक दिखे।  

भड़ास4मीडिया से जुड़े पत्रकार यशवंत सिंह ने रवींद्र शाह के कठोर बॉस की छवि पर प्रकाश डाला। यशवंत ने पत्रकारों की नई पौध की बेहतर ट्रेनिंग के लिए उनके व्यक्तित्व के इस पहलू को सराहा। इस सभा में ऐसे कई युवा पत्रकार भी मौजूद थे जिनके पत्रकारिता जीवन की शुरुआत शाह साहब के मार्गदर्शन में हुई थी। यशवंत ने कहा कि पिछले साल होली में आलोक तोमर गुजर गए और इस बार होली के आसपास ही रवींद्र शाह का असामयिक निधन हुआ। इन दोनों लोगों से बहुत कुछ जानने सीखने को मिला। दोनों लोगों की स्मृति को स्थायी बनाने के लिए जरूर कुछ किया जाना चाहिए।

आज तक चैनल के धीरेंन्द्र पुँढीर और भुवनेश सेंगर के अलावा एनडीटीवी के अखिलेश शर्मा ने भी रवींद्र शाह के साथ उनके जीवन के अनुभवों को साझा किया। धीरेंद्र ने एक बड़े भाई सदृश शाह साहब के साथ जीवन के अनुभव बांटे तो भुवनेश ने हरसूद की पत्रकारिता के दस्तावेजीकरण को रवींद्र शाह के पत्रकारिता जीवन का एक अहम योगदान दिया। अखिलेश ने दीपक चौरसिया की तरह अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत के लिए शाह साहब को श्रेय दिया तो साथ पत्रकारिता में उनकी दी गई सीख को भी साझा किया।  वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह ने मी़डिया छात्रों को पढ़ाते हुए शाह साहब के द्वारा ब्रॉ़डकास्ट जर्नलिज्म को समझाने में उनकी मदद का जिक्र किया और साथ ही कुछ निजी अनुभवों को भी साझा किया। रवींद्र शाह के बारे में अपने अनुभव व अपनी बातें रखते हुए शेष नारायण भावुक हो उठे।

आनंद तिवारी और अमित तिवारी ने इसे एक निजी क्षति बताते हुए शाह साहब के जाने को अपने जीवन की अपूर्णनीय क्षति बताया। अमित ने कहा दिल्ली में जबसे आया तीन चीजें हमसा साथ रहीं। यहां की भागदौड़ की जिंदगी, ढेर सारा तनाव और उनसे लड़ने के लिए रवींद्र शाह का साथ। भागदौड़ और तनाव तो अब भी है लेकिन शाह साहब नहीं रहे। आजाद न्यूज के अमित शर्मा ने भी यहां अपने अनुभव साझा किए।

आशुतोष भाटिया लंबे समय से रवींद्र शाह के साथ जुड़े हुए थे यहां उनके बारे में बात करते हुए वो बहुत भावुक हो गए। कुछ ऐसे ही अंदाज में दुर्गानाथ स्वर्णकार ने उन्हे याद करते हुए कहा की अब भी विश्वास करना मुश्किल है कि वो हमारे बीच नहीं रहे।  वरिष्ठ पत्रकार गोविंद सिंह और एक समय रवींद्र शाह को अपने चैनल एस 1 की जिम्मेदारी सौंपने वाले विजय दीक्षित ने आखिर में अपनी बात रखते हुए इस सभा का समापन किया। आयोजन में दर्जनों पत्रकार मौजूद थे।

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