मन की बातः युवा हमारे देश की और दुनिया की शक्ति
है। भारत में दुनिया की सबसे ज्यादा युवा आबादी है इस लिहाज से हमारे पास सबसे
ज्यादा शक्ति है। शक्ति के रचनात्मक और विध्वंसात्मक दोनों ही रूप होते हैं। युवा
शक्ति भटकी हुई है तो ये ज्यादा युवा शक्ति होना में खुशी का नहीं चिंता का विषय
बन जाता है। हमारे देश में युवा आबादी का बड़ा हिस्सा अभी अपने विचारों और समझ को
विकसित कर रहा है। उसे जिस तरह का माहौल हम देंगे वहीं उसके लिए पाठशाला का काम
करेगा। युवाओं से आह्वान और अपेक्षाओं के बजाय हम उन्हें ऐसा माहौल देने पर विचार
करना चाहिए जहां वे स्वभाविक और सहज रूप से अपनी ऊर्जा को सकारात्मक रूप से विकसित
कर सकें। युवावस्था सिर्फ शारीरिक ऊर्जा का विषय नहीं है। मन और विचार की शक्ति
अधिक महत्वपूर्ण है। युवा शरीर में हताश और थका हुआ मन किसी काम का नहीं।
हम स्वामी विवेकानंद को आदर्श के रूप में
प्रस्तुत कर रहे हैं। स्वामी जी युवा शक्ति की सबसे बड़ी प्रेरणा रहे हैं।
उन्होंने कहा था 50 युवा भी जागृत हो गए तो मेरा काम हो जाएगा। आप अंदाजा लगा सकते
हैं युवाशक्ति को वे कितना जानते थे। उनके नाम पर संस्थान बनाकर महज कुछ कार्यक्रम
भर कर देने से बात नहीं बनेगी। उनके विचारों को स्कूलों, कॉलेजों के माध्यम से
युवाओं तक पहुंचाना होगा। हमारा समाज और परिवार हमारे प्राथमिक स्कूल हैं। यही
हमारे ज्ञान के बड़े हिस्से को बनाते हैं। इन जगहों पर भी स्वामी जी एवं अन्य युवा
शक्ति के अन्य प्रणेताओं को जगह देने होगी। ये संभव है बस इस बात को सतही तौर पर रखने
के बजाय जमीनी कार्य करने की आवश्यकता है। नाद ब्रह्म योग धाम जैसे कई संस्थान
इसके लिए कार्यरत हैं। बच्चों के बीच जाकर उन्हें युवाशक्ति के बारे में समझाने के
साथ साथ, खेल कूदों और शारीरिक श्रम के प्रति जागरूक करना होगा। सिर्फ बातों से
बात नहीं बनेगी इसके लिए उन्हें आवश्यक संसाधन और परिस्थितियां भी मुहैया करानी
होंगी।
युवाशक्ति क्रियाशील होती है और उसे उचित
मार्गदर्शन नहीं मिलेगा तो वो निश्चित ही भटकाव के रास्ते पर जाएगा। नशाखोरी की
बढ़ती चुनौती इसकी एक बानगी है। युवाओं के शरीर में नशे का जहर घुल जाना उन्हें
किसी काम का नहीं छोड़ेगा। युवाओं के भटकाव पर नजर रखनी होगी। आप उनका मार्गदर्शन
नहीं कर सकते हैं क्यूंकि युवा किसी की नहीं सुनता वो स्वाधीनता पसंद होता है। हां
आप उन्हें स्वभाविक रूप से ऐसी परिस्थितियां मुहैया करा सकते हैं जिसमें वो
दिलचस्पी लें। हम एक समृद्ध परंपरा की थाती लिए हुए हैं। हमारे पास विचार और
आध्यात्म की अद्भुत शक्ति है। विवेकानंद ने कैलिफोर्निया में साल 1900 में दिए
भाषण में भारत के युवा का नशाखोरी से दूर होना एक बड़ी ताकत बताया था। आज
स्थितियां कुछ और हैं। ऐसे कई कार्यक्रम बनाए जा सकते हैं जहां युवाओं के बीच
पहुंचकर उन्हें उनकी शक्ति का एहसास कराया जाए। हमें अपने सद्ग्रंथों की भाषा
आसानी से समझ में आती है। यदि संक्षेप में इस पूरी बात को कहा जाए तो हर युवा में
हनुमान के वायूवेग की शक्ति है बस श्रीराम के आशीर्वाद से किसी जामवंत को उस शक्ति
को याद दिलाने की आवश्यकता है। हमारा युवा सात समंदर लांघकर निश्चित ही हमें
विश्वगुरू बना देगा। कई लोग ऐसे प्रयास कर रहे हैं लेकिन इन्हें हम अपनी
औपचारिक शिक्षा पद्धति की तरह अपने जीवन का हिस्सा नहीं बना पाए हैं। सरकार को इस
दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। वर्तमान परिदृश्य में ऐसे प्रयासों के लिए उर्वरा
भूमि दिखाई देती है।
drpraveentiwari@gmail.com
#yeswecan
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