शनिवार, 27 जून 2015

मध्य प्रदेश में प्रशासनिक भ्रष्टाचार से इंकार नहीं किया जा सकता-कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय महासचिव, बीजेपी


अमित शाह की नई टीम में मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को राष्ट्रीय महासचिव पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। इस नई जिम्मेदारी के साथ ही मध्य प्रदेश की राजनीति में उनके अगले मुख्यमंत्री के तौर पर सामने आने की सुगबुगाह शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश के घोटालों और मोदी सरकार पर घोटालों के आरोप समेत, योग की राजनीति पर कैलाश जी से 27/06/2015 को दिल्ली में डॉ. प्रवीण तिवारी की खास बातचीत।
मध्यप्रदेश भवन में बीजेपी के नवनियुक्त राष्ट्रीय महासचिव
कैलाश विजयवर्गीय जी से खास बातचीत

मध्य प्रदेश की राजनीति और अब राष्ट्रीय महासचिव का पद, क्या आपकी राजनीति का दायरा अब बड़ा हो गया है?
कार्य क्षैत्र बढ़ने से कोई व्यक्ति बड़ा नहीं बनता है, वो अपने काम से बड़ा बनता है। मुझे एक जिम्मेदारी दी गई है इसे यदि मैं सफलतापूर्वक निभा पाया तो इस बड़े पद के कुछ मायने होंगे, बड़े पद पर बैठने से कोई बड़ा नहीं बन जाता। मैं छोटा कार्यकर्ता ही हूँ और कोशिश करूंगा कि अच्छा काम करेगा पार्टी अध्यक्ष एवं अन्य वरिष्ठों को संतुष्ट कर सकूं, जिन्होंने मुझे ये महती जिम्मेदारी सौंपी है।
एक ऐसे समय पर ये जिम्मेदारी मिली है जब सरकार के कई बड़े चेहरे सवालों के घेरे में हैं। घोटालों और अनियमितताओं पर आपसे बहुत प्रश्न किए जाएंगे?
पिछले एक वर्ष से ज्यादा के कार्यकाल में मोदी सरकार के कार्यों को देखे तो उस पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगता है। कुछ घटनाक्रमों को इस तरह से तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया जिससे मीडिया को भी कुछ बोलने का मौका मिल गया। यदि सुषमा जी के मामले की बात कि जाए तो हम लगातार कह रहे हैं कि मानवीय आधार पर उठाया गया एक कदम था और इंसानियत दिखा कर उन्होंने कौनसा गलत काम कर दिया।
वंसुधरा राजे और पंकजा मुंडे भी सवालों के घेरे में हैं?
जहां तक वंसुधरा जी का सवाल है मैंने इस पूरे मामले को नजदीक से देखा समझा है और मैं दावे से कह सकता हूं कि इस मामले में भी कोई भ्रष्टाचार नहीं है। जिस ट्रांजेक्शन की बात की जा रही है ये उस वक्त का है जब ललित मोदी पर किसी तरह का कोई आरोप नहीं था। ये बेवजह का मुद्दा बनाकर सरकार के अच्छे कामों को दबाने की नाकाम कोशिश चल रही है।
पंकजा मुंडे मामले में भी नियम और प्रक्रियाओं का पूरा ध्यान रखा गया है। मेरी इस मसले पर कल ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस से बात भी हुई है। सौ फिसदी नियमों का ध्यान रखा गया है और इसका कांट्रेक्ट भी एक कांग्रेस के नेता को गया है। इसमें थोड़ा भी पक्षपात होता तो एक विरोधी दल के नेता को ये कांट्रेक्ट कैसे मिलता? आरोप तो कभी भी किसी पर भी चस्पा किया जा सकता है लेकिन नियमों का उल्लंघन हूआ है तो उसके सबूत सामने रखें।
बीजेपी संगठन में अब नए चेहरे आ रहे हैं क्या ये पार्टी को नया स्वरूप दिया जा रहा है?
नया स्वरूप नहीं कहा जाएगा, इसे पार्टी का विस्तार कहना ठीक होगा। पिछले लोकसभा चुनाव में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर वर्ग ने बीजेपी का समर्थन किया है। जरूरी है कि हम इस समर्थन को संगठनात्मक रूप से भी सामने रखें। मैं गर्व से कह सकता हूं कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी ने सदस्यता अभियान के जरिए एक बहुत बड़ा लक्ष्य हम लोगों के सामने रखा है। जब शुरूआत में इसकी घोषणा की गई थी तो मुझे भी लगा कि कुछ ज्यादा ही बड़ी चुनौती सामने रख ली गई है लेकिन जिस तरह देश भर के कार्यकर्ताओं ने काम किया उसने इस असंभव दिखने वाले सपने को भी साकार कर दिया है। अध्यक्ष महोदय खुद इस पूरी प्रक्रिया पर नजर बनाए हुए थे और इसी का परिणाम है कि आज 11 करोड़ सदस्य भारतीय जनता पार्टी के हो गए हैं। बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी हो गई। दूसरे चरण में हमने महासंपर्क अभियान को शुरू किया है जिसमें हम लोगों से निजी तौर पर जाकर मिलेंगे और उनके हस्ताक्षर सहित बायो डेटा लिए जाएंगे।
इस अभियान से क्या कोई  रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं?
देखिए जनसंघ की शुरूआत एक वैचारिक क्रांति से हुई है। भारतीय जनता पार्टी की शक्ति उसके यही विचार हैं। इन विचारों और संस्कारों को घर घर तक पहुंचाना ही इस अभियान का मकसद है। हम चाहते हैं कि हमारे कार्यकर्ता वैचारिक रूप से परिपक्व हो। बीजेपी राजनीति में क्यूं है, क्या करना चाहती है यही बातें हम जनसंपर्क अभियान के तहत हम सभी कार्यकर्ताओं को समझाएंगे। पार्टी की विचारधारा से अवगत कराकर हम समर्पित कार्यकर्ता बनाना चाहते हैं।
फिर ये योग दिवस क्या है और इसे योग का राजनीतिकरण क्यूं न कहें?
कांग्रेस जैसे राजनैतिक दल जिनका जनाधार नहीं होता है सिर्फ वोट बैंक के प्रति समर्पण होता है। जिनके पास संस्कार नहीं होते सिर्फ वोट बैंक की चिंता होती है। ऐसे लोग ऐसे महान अनुष्ठानों का विरोध करते हैं। योग सभी को निरोग बनाने के लिए है। रोग का किसी धर्म या संप्रदाय से कोई लेना देना नहीं होता है। जब रोग सांप्रदायिक नहीं तो उसे भगाने वाला योग कैसे सांप्रदायिक हो गया? मैं योग का विरोध करने वाले मुल्ला मौलवियों से मैं प्रश्न करना चाहता हूं कि दुनिया के 48 इस्लामिक राष्ट्रों ने योग दिवस का स्वागत किया, क्या हमारे देश मैं इस्लामिक देशों से ज्यादा कट्टर धर्मांध हैं? वे तो इस्लामिक राष्ट्र हैं लेकिन हमारी पृष्ठ भूमि पर जरा गौर करिए। आज यहां जो योग का विरोध कर रहे हैं वे भी तो हिंदू ही थे। योग को सांप्रदायिक कहना अल्पज्ञान है।
इसे थोपा क्यूं जा रहा है, योग का महत्व तो इससे कम ज्यादा होगा नहीं?
जब कोई देश चलाता है तो उसकी अपेक्षा होती है कि देश के सभी लोग निरोगी हो। उनका वैचारिक और आध्यात्मिक विकास भी हो। एक स्वस्थ राष्ट्र के लिए हर एक की आध्यात्मिक उन्नति जरूरी है। हमारे योग को दुनिया स्वीकार रही है। मोदी जी देश को चला रहे हैं और अगर वो हर एक को निरोगी और उन्नत बनाना चाहते हैं तो इसमें गलत क्या है? सबसे ज्यादा खर्चा अस्पतालों में हो रहा है। इसे तो मोदी जी की दूर दृष्टि कहना चाहिए कि वे स्वास्थ्य पर जोर देकर देश को स्वस्थ करना चाह रहे हैं।
आपके केंद्रीय नेतृत्व के नजदीक होने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति मे सुगबुगाहट शुरू हो गई है। क्या कैलाश विजयवर्गीय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं?
मैं कभी किसी दौड़ में नहीं रहा हूं। आप वर्तमान में अच्छा करेंगे तो भविष्य अपने आप सुधर जाएगा। रामकृष्ण परमहंस ने निराश विवेकानंद से एक बार कहा था कि अतीत से संघर्ष करो, वर्तमान में स्वाभिमान और निडरता के साथ जिओ और भविष्य की योजना बनाओ। भविष्य कहा ले जाता है मैं नहीं कह सकता लेकिन वर्तमान में इतनी मेहनत करूंगा कि मुझ पर जिन लोगों ने विश्वास किया है उन्हें निराश न होना पड़े।
क्या आपके वर्तमान की मेहनत में भविष्य में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी भी है?
मैंने कहा न कि मैं कभी परिणामों के लिए काम नहीं करता। मुझे जो काम दिया गया है उसे ईमानदारी से करने में मेरी मेहनत होती है। मुझे क्या जिम्मेदारी देना है या नहीं देना है वो संगठन को तय करना है। एक कार्यकर्ता हूं जो भी काम कहा जाता है करता हूं।
इस वक्त मध्यप्रदेश में एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं और इनसे मध्यप्रदेश सरकार भी दागदार हुई है?
मध्यप्रदेश में कोई राजनैतिक भ्रष्टाचार नहीं है। हाल के दिनों में व्यापम हो या मैट का घोटाला आदि ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। मध्य प्रदेश में प्रशासनिक भ्रष्टाचार है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।






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