हम अपनी आदतों का पुलिंदा हैं। हमारा मन या चित्त चाहे जो
कहें वो हमारी इन्हीं आदतों से बना हुआ है। खाने पीने और दिनचर्या की दूसरी आदतों
से आगे बढ़ते हुए हमारे डर,
आत्मविश्वास, खुशी, दुख
और अन्य तमाम भाव भी आदतों से ही जुड़े हुए हैं। ऐसे कई प्रयोग हुए जो बताते हैं
कि नई चीजों तो करने में हम हमेशा एक परेशानी महसूस करते हैं और इसकी वजह ये होती
है कि हम अपनी आदतों के दायरे को तोड़ना नहीं चाहते हैं। ये भी सच है कि यदि
शुरूआती नीरसता के बावजूद किसी अच्छे काम को यदि आदत बनाने के लिए उसे सतत 24
दिनों तक किया जाए तो वो उतना ही सहज हो जाता है जितनी हमारी दूसरी आदतें। इन 24
दिनों में ऐसी कौनसी 24 बातें हैं जिनका अभ्यास हमें सत्य के करीब ले जाता है पर
इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है।
cover page of the book published by Mahaveer Publishers Delhi |
करत करत अभ्यास के जडमती होत सुजान.. ये बात हम कहते, पढ़ते तो
बहुत आए लेकिन हम इसके अपने जीवन में महत्व को कितना समझते हैं। एक छोटे से उदाहरण
से इस बात को समझा जा सकता है कि यदि आपको किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में गाने,
नाचने या बोलने के लिए कहा जाता है तो आप के हाथ पैर फूल सकते हैं।
ऐसा तभी होता है जब आप इन विधाओं में महारत नहीं रखते हों। इसके उलट यदि किसी ने
गाने, नाचने या बोलने का अभ्यास किया है या वो इन्हें अभ्यास
के तौर पर अपने जीवन में आजमाता है तो वो खुशी खुशी ऐसे मौकों पर अपनी इस कला का
मुजाअरा करता है। अलग अलग हुनर के मामले में तो ये बात हम सब समझते हैं लेकिन जीवन
जीने की कला, विभिन्न परिस्थितियों पर हमारी प्रतिक्रिया, लक्ष्य के लिए आगे बढ़ते
हुए पेश आने वाली चुनौतियों जैसी बहुत सी बातों में हम इस सामान्य से विज्ञान को
भूल जाते हैं। आप जिस अभ्यास में माहिर हो जाते हैं उसमें आत्मविश्वास से लबरेज भी
होते जाते हैं। सत्य को पाने और जीवन को सही तरीके से जीने पर भी यही बात लागू
होती है।
यूं तो बहुत कुछ बहुत से ज्ञानियों ने पहले ही लिख दिया है
लेकिन फिर भी उन्हें जीवन में उतारने का अभ्यास हम नहीं कर पाए हैं। विचारों की
कौंध में जीते हुए हम ठीक से देखना, सुनना, लिखना और बोलना तक भूल गए हैं। ये
किताब पहले तो आपको स्वविवेक से इस बात को समझने में मदद करती है कि क्या हम सोए
हुए हैं। क्या सचमुच हम दिन प्रतिदिन अपने जीवन के साथ सही अभ्यास कर रहे हैं? क्या हम
सही आदतों को अपने जीवन में जगह दे रहे हैं? उन्हें पहचानना
और यदि वो सही नहीं हैं तो उनके विपरीत सही अभ्यास को जीवन का हिस्सा बनाना इस
पुस्तक का मकसद है। ऐसे ही 24 महत्वपूर्ण अभ्यासों पर ये पुस्तक रौशनी डालती हैं।
जिनमें सतत अभ्यास का अभ्यास और अनुभव का अभ्यास भी शामिल है। इन अभ्यासों को जीवन
का हिस्सा बनाने से आप सत्य की ओर अग्रसर होते हैं और एक अच्छे व्यक्तित्व के
मालिक भी बनते हैं। अच्छा व्यक्तित्व और सत्य की जीवन में क्या आवश्यकता है पर भी
ये पुस्तक रौशनी डालती है।
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